नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में फूलों की घाटी(Valley of Flowers ) के बारे में बात करने वाले हैं|जो पर्यटकों के लिए बहुत ही सुन्दर हैं|अगर आपको अपने जीवन में जीते जी स्वर्ग देखना हैं तो फूलों की घाटी में चले जाये, ये किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं|यहाँ पर आपको फूलों की 500 से अधिक प्रजातीय देखने को मिलेंगी|जो यहाँ की सुन्दरता को चार चाँद लगती हैं| यहाँ पर हर 15 दिन पर इसका रंग बदल जाता हैं|यहाँ पर बहुत से पर्यटक घुमाने के लिए आते हैं|ये अपने विभिन्न फूलों के लिए जाना जाता हैं|इस जगह पर हर एक मोड़ हर विभिन्न प्रकार के फूल घटिया और पहाड़ो के दृश्य देखने को मिलते हैं|

यहाँ पर घुमने के लिए आपको उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान हैं| ये अपने फूलों के लिए प्रसिद्ध हैं इसलिए इसे फूलों की घाटी(valley of flowers) कहाँ जाता है|यही नहीं प्राकृतिक सुन्दरता के लिए भी जाना जाता हैं|
History of valley of flowers – फूलों की घाटी का इतिहास

फूलों की घाटी/Valley of flowers अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और 500 से अधिक प्रकार के फूलों के लिए प्रसिद्ध हैं ये उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान हैं| ये घाटी नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व का हिस्सा हैं इसको 1982 राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया| इसकी खोज 1931 में ब्रिटिश पर्वतरोही फ्रैंक एस. स्मिथ और उनके साथी होल्डसवर्थ ने खोजा था फ्रैंक स्मिथ ने अपनी बुक वैली ऑफ़ फ्लावर्स में भी इसकी बात की हैं |
फूलों के अलावा कई प्रकार के जड़ी- बूटिया और जानवरों का घर हैं जैसे – पहाड़ी गिलहरी, लोमड़ी, भूरे लंगूर, काले भालू और हिम तेंदुआ भी पाए जाते हैं|
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फूलों की घाटी घुमने का सही समय – Best Time to Visit Valley of flowers

अगर आप फूलों की घाटी/Valley of Flowers घुमाना चाहते है तो सबसे पहले मन में एक ही सवाल आता हैं|किस समय घुमाने जाये| लेकिन हम आपको सारी चीजे बताएँगे|फूलों की घाटी 1 जून से खुल जाती हैं और अधिक तर अक्टूबर तक खुला रहेगा उसके बाद बंद हो जाता हैं लेकिन फूलों की घाटी घुमाने का सबसे अच्छा समय जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक होता हैं इस समय यहाँ पर अधिकांस फूल खिले होता हैं|
फूलों की घाटी का यात्रा और ट्रेकिंग – Valley of flowers

फूलों की घाटी/Valley of flowers घुमने के लिए सबसे नजदीकी रास्ता गोविन्द घाट हैं. सबसे पहले देहरादून से जोशीमठ और फिर गोविन्द्घट तक गाड़ी से पहुँचकर, गोविन्द घाट से घांघरिया बेस कैंप तक 16 किमी की ट्रेकिंग करनी होती हैं घांघरिया से फूलों की घाटी के लिए पास लेना पड़ता हैं| घाटी में रुकने की अनुमति बिल्कुल नहीं हैं, इसलिए आपको घुमाने के बाद घांघरिया में रुकने की व्यवस्था हैं|
FAQ Related Questions & Answers
फूलों की घाटी क्यों प्रसिद्ध हैं ?

फूलों की घाटी अपनी असाधारण प्राकृतिक सुन्दरता, विशेष रूप से फूलों की प्रचुरता और विविध वनस्पतियों के लिए प्रसिद्ध हैं|
फूलों की घाटी किसे कहते हैं?
उत्तराखंड में फूलों की घाटी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और एक राष्ट्रीय उद्यान हैं|
फूलों की घाटी कब खुलती हैं?
फूलों की घाटी 1 जून से पर्यटकों और ट्रेकर्स के लिए खुल जाएगी |
फूलों की घाटी घुमने का सबसे अच्छा समय कौन सा हैं?

फूलों की घाटी घुमने का सबसे अच्छा समय जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक हैं|जब घाटी के फूल पहली मानसून की बारिश के बाद पूरी तरह खिल जाते हैं|
फूलों की घाटी की खोज किसने की थी?
फूलों की घाटी की खोज सबसे पहले 1862 में भारतीय सेना के कर्नल एडमंड स्मिथ ने की थी लेकिन ब्रिटिश के प्रसिद्ध पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और पीएल होल्ड्सवर्थ 1931 में लौटते समय संयोग से इस घाटी में पहुँच गए थे|
फूलों की घाटी से होकर कौन सी नदी बहती हैं?
पुष्पावती नदी हिमालय के ऊँचे ग्लेशियरो से निकलती हैं और फूलों की घाटी से होकर बहती हैं|
फूलों की घाटी घुमने के लिए सबसे अच्छा महीना कौन सा हैं ?

पर्यटकों के लिए घुमने के लिए सबसे अच्छा महीना जुलाई का होता हैं|
फूलों के अध्ययन का क्या नाम हैं?
पौधों और फूल वाले पौधों के अध्ययन को एन्थोलाजी कहा जाता हैं|
फूलों की घाटी में फूल किस मौसम में खिलते हैं?
फूलों की घाटी में जुलाई के मध्य से अगस्त के बीच घाटी में पूरी तरह से फूल खिलते हैं|
Conclusion – निष्कर्ष
दोस्तों यदि आपको फूलों की घाटी (Valley of Flowers) में बारे में जानना चाहते है तो आपको ये लेख बहुत ही मदद करेगा, इस लेख में हमने आपको फूलों की घाटी से related ज्यादा से ज्यादा सवाले के जब देने की कोशिश की हैं| ये सवाल आपको google पर खोजने पर आसानी से मिल जाएगा|लेकिन इसमें हमने सभी सवालों के जवाब एक ही स्थानमिल जाएगा| इससे आपका समय बच जाएगा |समय कितना कीमती हैं ये आप अच्छे से जानते हैं|हम आशा करते हैं कि ये लेख आपको पसंद आया होगा| इसमें अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे| ध्यानवाद