हरिद्वार, Which of the Important fact in Haridwar

नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में हम Haridwar के बारे में बात करने वाले हैं वैसे तो हरिद्वार के बारे में आप ने सुना होगा| लेकिन इस लेख में हम कुछ और जरुरी बाते बताने वाले हैं|उत्तराखंड राज्य में स्थित एक शहर हरिद्वार हैं| जो गंगा नदी के तट पास बसा बहुत ही खुबसूरत और प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण हैं| जहाँ पर हर 12 साल पर कुंभ मेला और 6 साल पर अर्द्ध कुंभ मेला लगता हैं|

हरिद्वार में हर साल बहुत से लोग गंगा असनान करने के लिए आते हैं कहा जाता हैं कि यहाँ पर समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत निकला था तो देवताओ और रक्ष आपस में लड़ रहे थे| तभी यहाँ पर अमृत गिरा था|उसी के बाद से यहाँ पर कुंभ मेला लगने लगा| यही पर नहीं 4 स्थान पर अमृत गिरा था और चार जगह पर कुंभ मेला लगता हैं|

कुंभ मेला भारत में 4 अलग – अलग स्थानों पर लगाता हैं प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन नासिक| जो हर 12 साल में एक बार लगता हैं जिसे पूर्ण कुंभ कहा जाता हैं|और जो 6 साल बाद कुंभ मेला लगता हैं| उसे अर्द्ध कुंभ कहा जाता हैं|

कुंभ मेला 12 साल पर क्यों लगा हैं?

कुंभ मेला 12 साल बाद इसलिए लगता हैं क्योकि खगोलीय घटनाओं, मुख्य रूप से बृहस्पति गृह की स्थित पर आधारित हैं| जब बृहस्पति गृह कुंभ राशि में प्रवेश करता हैं और सूर्य मकर राशि में होता हैं, तब कुंभ मेला आयोजित होता हैं| बृहस्पति को अपनी कक्षा में 12 साल लगते हैं इसलिए कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार लगता हैं|

हरिद्वार के बारे में 10 महत्पूर्ण बाते

हरिद्वार को भारत की सात प्राचीन नगरियों में से एक माना जाता हैं| पुराणों में इसकी सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में गणना की जाती थी|

Haridwar/हरिद्वार का प्राचीन नाम हैं मायानगर या मायापुरी| हरिद्वार अर्थात हरि के घर का द्वार या ईश्वर का द्वार भी कहा जाता हैं|जिस गंगा द्वार भी कहा जाता हैं| गंगा हरि के घर से निकलकर यहां मैदानी इलाके में पहुंचती हैं हरि अर्थात बद्रीनाथ विष्णु भगवान जो पहाड़ो पर स्थित हैं| हरिद्वार का एक भाग आज भी ‘मायापुरी’ नाम से प्रसिद्ध हैं|

कहा जाता हैं कि भगवान बिष्णु ने हर की पैड़ी के ऊपरी दीवार में पत्थर पर अपना पैर का निशान चिन्हित हैं जिसे पवित्र गंगा हर समय उसे छूती हैं|

Haridwar को 3 देवताओं ने अपनी उपस्थिति से पवित्र किया हैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश| गंगा नदी के ऊपरी भाग में बसे हुए बद्रीनारायण तथा केदारनाथ नामक भगवान विष्णु और शिव के पवित्र तीर्थो के लिए इसी स्थान से आगे रास्ता जाता हैं| इसलिए इसे हरिद्वार तथा हरद्वार दोनों ही नामों से जाना जाता है| जिसका वास्तविक नाम गेटवे ऑफ द गार्ड्स हैं|

हरिद्वार गंगा नदी के तट पर बसा एक शहर हैं कहा जाता हैं कि समुद्र मंथन से जब अमृत प्राप्त हुआ था तब अमृत हरिद्वार के हर की पैड़ी पर गिरा था इसलिए यह पर कुंभ पर्व आयोजित किया जाता हैं|

Haridwar का सबसे प्राचीन स्थान कनखल हैं इसका उल्लेख पुराणों में मिलता हैं| यह स्थान हरिद्वार से लगभग 3.5 किमी की दूरी पर स्थित हैं वर्त्तमान में कनखल हरिद्वार की उपनगरी के रूप में जाना जाता हैं | अगर कनखल के इतिहास की बात करे तो महाभारत और भगवान शिव से जुड़ा हुआ हैं|

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कनखल हो वो जगह हैं जहाँ राजा दक्ष ने प्रसिद्ध यज्ञ किया था और सती ने अपने पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान करने पर उस यज्ञ में खुद को दाह कर लिया था|

यहाँ शक्ति त्रिकोण हैं शक्ति त्रिकोण अर्थात मनसा देवी, चंडी देवी मंदिर और सती का शक्ति पीठ जिसे मायादेवी शक्ति पीठ कहते हैं यहाँ पर माता सती का ह्रदय और नाभि गिरे थे माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता हैं|

Haridwar में शांति कुंभ स्थान पर विश्वमित्र ने घोर तप किया था तो दूसरी और सप्तऋषि आश्रम में सप्त ऋषियों ने तपस्या की थी| यह स्थान कई ऋषि और मुनियों की तपोभूमि रहा हैं| इसके अलावा श्रीराम के भाई लक्ष्मण जी ने हरिद्वार में जूट की रस्सियों के सहारे नदी को पार किया था जिसे आज लक्ष्मण झुला कहा जाता हैं|

कपिल मुनि ने भी यहाँ तपस्या की थी इसलिए इस स्थान को कपिलास्थान भी कहा जाता है| कहते हैं कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी पर भगवान ब्रह्मा की तपस्या की थी, राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने जब वरदान मांगने को कहा तो राजा ने वरदान माँगा की इस स्थान को ईश्वर के नाम से जाना जाए| तब से हर की पौड़ी के जल को ब्रह्मा कुंड के नाम से भी जाना जाने लगा|

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Haridwar को पंचपुरी भी कहा जाता हैं| पंचपुरी में मायादेवी मंदिर के आसपास के 5 छोटे नगर सम्मिलित हैं उसनें से एक कनखल हैं|

Haridwar में ही विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती होती हैं हरिद्वार की तर्ज पर बाद में गंगा आरती का आयोजन ऋषिकेश, वाराणसी, प्रयाग और चित्रकूट में भी होने लगा|

FAQ Related Question & Answer

हरिद्वार की खासियत क्या हैं ?

हरिद्वार में पवित्र गंगा में एक डुबकी लगाने के बाद स्वर्ग में जा सकते हैं गंगा नदी की पहाड़ो से मैदान तक की यात्रा में हरिद्वार पहले प्रमुख शहरो में से एक हैं यहाँ का पानी साफ और शांत हैं|

हरिद्वार की कहानी क्या हैं?

Haridwar

यह हरिद्वार ही था जहाँ देवी गंगा का अवतरण हुआ था, जब शिव ने अपनी जटाओ से इन विशाल नदी को छोड़ा था| गंगा नदी, गंगोत्री ग्लेशियर के किनारों गौमुख से निकलती हैं|

हरिद्वार किस लिए प्रसिद्ध हैं?

हरिद्वार अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण प्रसिद्ध हैं|रिद्वार अर्थात हरि के घर का द्वार या ईश्वर का द्वार भी कहा जाता हैं|जिस गंगा द्वार भी कहा जाता हैं|

हरिद्वार इतना प्रसिद्ध क्यों हैं?

हरिद्वार अपने जीवंत त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए हैं जो दुनिया भर से लोगो को आकर्षित करते हैं| हरिद्वार में सबसे बड़ा मेला कुंभ लगता है जो 12 साल में एक बार आता हैं|

गंगा का इतिहास क्या हैं ?

Haridwar Arti

गंगा को ब्रह्मा के पुत्र और हिमालय के राजा हिमवत और उनकी मेरु की पुत्री मेनवती की सबसे बड़ी संतान के रूप में वर्णित किया गया है| जब गंगा युवा हो गई, तो देवता उसे ले गए, जहाँ उसने एक नदी का रूप धारण किया और बहने लगी|

हरिद्वार में कुंभ कब लगा था?

हरिद्वार में 2021 में पूर्ण कुंभ लगा था|

हरिद्वार में अगला महाकुंभ कब होगा|

हरिद्वार में अलगा महाकुंभ 2033 में लगेगा जिसे पूर्ण कुंभ माना जाता हैं|

अगला कुंभ मेला कब और कहाँ होगा?

प्रयागराज के बाद अगला कुंभ नासिक में 2027 में गोदावरी नदी के तट पर लगेगा|

2027 में महाकुंभ कब और कहाँ आयोजित होगा?

Haridwar

नासिक कुंभ मेला 17 जुलाई 2027 को शुरू होगा और एक महीने तक श्रद्धलु पवित्र स्नान करेंगे और 17 अगस्त 2027 को समाप्त हो जाएगा|

Delhi to Haridwar distance कितना हैं?

दिल्ली से हरिद्वार की दूरी लगभग 239 किमी हैं जिसे 4 घंटे 30 मिनट का समय लगेगा| इसे नेशनल हाईवे NH334 से जा सकते हैं|

Haridwar to Rishikesh distance कितना हैं?

हरिद्वार के ऋषिकेश की दूरी लगभग 25 किमी हैं|

Haridwar to Rishikesh

दोस्तों यदि आप हरिद्वार घुमने के लिए गए है तो आप वहां से मात्र 26 की दूरी पर स्थित ऋषिकेश भी घूमना चाहिए|

Haridwar to Kedarnath distance कितनी हैं?

हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी लगभग 239 किमी हैं जो सड़क मार्ग से हैं इसकी यात्रा करने में लगभग 8 घंटे का समय लगेगा|

Dehradun to Haridwar distance कितनी हैं?

देहरादून से हरिद्वार की दूरी लगभग 50 किमी की हैं जिसे आप सड़क मार्ग से लगभग 1h 10 मिनट में तय कर लेंगे|

Haridwar to Dehradun distance कितनी हैं?

हरिद्वार से देहरादून की दूरी लगभग 53 किमी की हैं जहाँ से आप सड़क मार्ग से आसानी से जा सकते हैं|

Conclusion/ निष्कर्ष

दोस्तों यदि आप हरिद्वार घुमाने आते हैं तो आपको Haridwar के बारे में थोड़ी बहुत जानकरी होंनी चाहिए| इस लेख में हमने आपको हरिद्वार से रिलेटेड बहुत सी महत्वपूर्ण बाते बताई हैं| जिससे आपको ये लेख पसंद आया होगा| यदि आपको थोड़ी सी भी जानकारी मिली हो तो अपने दोस्तों को जरुर शेयर करना| ध्यानवाद