दिल्ली का इतिहास/ History of Delhi

भारत की राजधानी दिल्ली का भारतीय इतिहास बहुत पुराना हैं यह शहर का इतिहास महाभारत के जितना पुराना हैं ,इस शहर को इन्द्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, समय के अनुसार इसे आठ भाग में बांटा गया था जो इस प्रकार है- लाल कोट, दीनपनाह, किला राय पिथौरा, फिरोजाबाद, जंहापनाह, शाहजहानाबाद बसते रहे|

दिल्ली के इतिहास

सन ११९२ में मोहम्मद गौरी ने राजपूतो के शहर पर कब्ज़ा किया, १२०६ में दिल्ली के सुल्तान की नीव रखी| १३९८ में दिल्ली पर तैमूर के हमले ने सुल्तान को ख़त्म किया, लोधी, जो दिल्ली के अंतिम सुल्तान हुए उसके बाद बाबर ने सन १५२६ में पानीपत की लड़ाई के बाद मुग़ल की स्थापना की| आरंभिक मुग़ल शासको ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया गया और दिल्ली की दीवार शाहजहाँ द्वारा निर्माण १६३८ में कराया गया|

हिन्दू राजाओं से से लेकर मुस्लिम सुल्तानों तक, दिल्ली के शासन एक दूसरे के शासक के हाथों में जाता रहा| शहर की मिटटी खून, कुर्बानी और देश-प्रेम से सीची हैं प्राचीन काल से ही पुरानी हवेलियाँ और इमारते खामोश खाड़ी हैं|

१८०३ ई में शहर पर अंग्रेजो का कब्ज़ा हो गया| वर्ष १९११ में, अंग्रेजो ने कलकत्ता से बदलकर दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया यह भारत के मध्य में स्थित हैं|

यमुना नदी के किनारे बसा महानगर दिल्ली जो देखने में बहुत सुंदर लगता हैं| दिल्ली भारत के गणराज्य की राजधानी हैं और दिल्ली भारत में मध्य में स्थित हैं| ये देसीऔर विदेशी नागरिको के दिलो में राज्य करता हैं शायद इसलिए इस महानगर का नाम दिल्ली हैं|

भारत की राजधानी दिल्ली अपने समध्द संस्कृति स्वादिष्ट भोजन और तंग बाज़ार के लिए दुनिया में बहुत अच्छे से जाना जाता हैं| दिल्ली भारत के पर्यटक स्थलों में से एक एक हैं जहाँ हर कोई आना चाहत हैं और अपने इच्छा के अनुसार सब कुछ पाना चाहता हैं यह शहर पुराने विरासतों से भरा पड़ा हैं जैसे-जामा मस्जिद, निजामुद्दी दरगाह, लालकिला ,हिमायुं का मकबरा, कुतुबमीनार, इण्डिया गेट आदि|